Thursday, April 23, 2020

देश की ऐसी प्रथम महिला जिन्हे पंडित की उपाधि से सम्मानित किया गया...........

रमाबाई, डोंगरे मेधावी [पंडिता रमाबाई सरस्वती] (1858-1922)

आज पंडिता रमाबाई के जन्मदिवस पर उन्हें याद करने का मौका हमें मिल रहा है। वह एक ऐसी शख्शियत थी जिन्होंने महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किये थे ,आइये अब उनके बारे में कुछ बातें जान लेते हैं-

Jump to navigationJump to search
Pandita Ramabai
Pandita Ramabai Sarasvati 1858-1922 front-page-portrait.jpg
पंडिता रमाबाई सरस्वती

Occupationसमाज सुधारक, नारीवादी
Years active1885 to 1922
Organizationपंडिता रमाबाई मुक्ति मिशन, केडगाँव
Known forबेसहारा और अनाथ लड़कियों के बीच मंत्रालय
Notable work
उच्च जाति की हिंदू महिला
Childrenमनोरमा
समाज सुधारक पंडिता रमाबाई का जन्म साल 1858 में 23 अप्रैल को हुआ था...

जानिए इनसे संबंधित महत्वपूर्ण फैक्ट्स को....

1. उन्होंने मुक्ति मिशन शुरू किया, जो ठुकराई गई महिलाओं-बच्चों का ठिकाना था. बंबई में 20 लड़कियों के साथ शारदा सदन की शुरुआत की.

2. वो संस्कृत की विद्वान थीं इसलिए उनके नाम से पहले पंडिता लगा करता था.

3. आर्य महिला समाज के जरिए उच्च जाति की हिंदू महिलाओं को लड़कियों की शिक्षा की कोशिशों में जुटाया.

4. वो सात भाषाएं जानती थीं, धर्मपरिवर्तन कर ईसाई बन गईं और बाइबल की अनुवाद मराठी में किया.

5. साल 1919 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कैसर-ए-हिंदी की उपाधि से नवाजा.

आइये अब उनके जीवन के बारे में कुछ बातें जान लेते है-
  • रमाबाई डोंगरे (डोंगरे उनका पारिवारिक नाम, मेधावी उनका विवाहित नाम) एक उच्च जाति के हिंदू परिवार में पैदा हुई थीं।
  •  उसके पिता हिंदू महाकाव्य और पौराणिक ग्रंथों के भटकने वाले पेशेवर थे। 
  • 1874 के अकाल में उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद, उसने और उसके भाई ने परिवार की परंपरा को जारी रखा। 
  • 1878 में कलकत्ता जाकर, "पंडिता" और "सरस्वती" की उपाधि उन्हें उनकी शिक्षा की प्राप्ति के रूप में दी गई। 
  • वह ब्रह्म समाज (एक सुधारवादी हिंदू संघ) में शामिल हो गईं और जून 1880 में उनकी तुलना में बहुत कम जाति के व्यक्ति से शादी कर ली। 
  • उनके एकमात्र बच्चे, मनोरमा, का जन्म अप्रैल 1881 में हुआ था। 
  • एक साल से भी कम समय के बाद उनके पति का हैजा से निधन हो गया, जिससे वह एक उच्च जाति की हिंदू विधवा की असमान स्थिति में चली गईं।
              यह भी जाने- एक ऐसा पहाड़ जो रंग बदलता है............

पुरस्कार और सम्मान
भारत की 1989 की मुहर पर रमाबाई
  • 1919 में सामुदायिक सेवा के लिए केसरी-ए-हिंद पदक, ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा प्रदान किया गया। 
  • वह 5 अप्रैल,  को एपिस्कोपल चर्च (यूएसए) के लिटर्जिकल कैलेंडर पर एक दावत के दिन और 30 अप्रैल को इंग्लैंड के चर्च के लिटर्जिकल कैलेंडर में एक स्मरणोत्सव दिवस के साथ सम्मानित किया जाता है। 
  • 26 अक्टूबर 1989 को, भारतीय महिलाओं की उन्नति में उनके योगदान को देखते हुए, भारत सरकार ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
  • उनके सम्मान में मुंबई की एक सड़क का नाम भी रखा गया है। गामदेवी इलाके के आसपास के क्षेत्र में ह्यूजेस रोड को नाना चौक से जोड़ने वाली सड़क को पंडिता रमाबाई मार्ग के नाम से जाना जाता है। 



इसी प्रकार के रोचक और ज्ञानवर्धक पोस्ट को पढ़ते रहने के लिए फॉलो करें हमारे ब्लॉग को जिस से आप को नए लेख की जानकारी मिलती रहे,धन्यवाद

No comments:

Post a Comment

मैं आपको धन्यवाद अग्रसरित करता हूँ......